कौन थे बिरसा मुंडा : आज 19वीं सदी के बिरसा मुंडा एक प्रमुख आदिवासी जननायक आदिवासियों के भगवान की जयंती है | आज ही के दिन उलगुलान को अंजाम देने वाले आदिवासियों के नेतृत्व करता का जन्म हुआ था | जी हां हम उसी आदिवासी बिरसा मुंडा की बात कर रहे हैं, जिसे आदिवासियों का भगवान माना जाता है |
इस पोस्ट में हम आपको आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा के बारे में कई सारी जानकारी देने वाले हैं | बिरसा मुंडा के ऊपर इतिहासकारों के द्वारा कई सारी किताबें भी लिखी जा चुकी है, लेकिन आज भी बिरसा मुंडा की कहानी एक पहेली की तरह लोगों के लिए लगती हैं |
आपको बता दें कि आजादी के लिए लड़ी जाने वाली पहली क्रांति 18 57 की क्रांति से पहले भी बिरसा मुंडा आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ रहे थे | ऐसा बिरसा मुंडा के बारे में की गई रिसर्च के दौरान पता चला है |
यह जानकारी झारखंड शिविर में उलगुलान नाटक की परिकल्पना करने वाले नाटक के लेखक तथा निर्देशक अजय मलकानी के द्वारा जानकारी दी गई है | अभी तक आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि बिरसा मुंडा कौन थे ? आइए आप जानते हैं बिरसा मुंडा की जीवनी के बारे में|
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा आदिवासियों का नेतृत्व करते थे | बिरसा मुंडा ही थे जिन्हें आदिवासियों का है भगवान कहा जाता है | अगर हम बिरसा मुंडा की जन्म तारीख की बात करें तो बरसे मुंडा का जन्म 15 नवंबर को 1875 में भारत के झारखंड राज्य के मैंरांची के उलीहातू गांव में हुआ था |
बिरसा मुंडा आदिवासी होने के बावजूद पहले के समय में एक शिक्षित व्यक्ति थे | उन्होंने अपनी पढ़ाई शारदा गांव में की थी | जिसके बाद वह चाईबासा इंग्लिश बड़े स्कूल में भी पढ़ने गए थे |
बिरसा मुंडा के मन में एक क्रांतिकारी सोच पैदा हो रही थी जब वह अपने स्कूल के दौरान शिक्षा ग्रहण कर रहे थे | वह हमेशा ब्रिटिश समाज के प्रति आक्रोश जरा सोच रखते थे | मुंडा समाज के आदिवासियों को अंग्रेजों से आने के लिए अपने नेतृत्व में कई सारे प्रयास किए |
बिरसा मुंडा ने मुंडा विद्रोह नाम से अंग्रेजो के खिलाफ एक विद्रोह किया था | बात 1894 की है, जब बिरसा मुंडा ने 1 अक्टूबर को एक नौजवान नेता के रूप में सा व्यस्त मुंडा समाज के आदिवासियों को एकत्रित करके अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए जोश जगाया था | इस आंदोलन की वजह से उन्हें अंग्रेजो के द्वारा 1895 में गिरफ्तार भी कर लिया गया था | दरअसल यह विद्रोह बिरसा मुंडा के द्वारा अंग्रेजो के द्वारा ली जाने वाली लगान तिहाई दर की वजह से किया गया था |
जब बिरसा मुंडा को 1895 में अंग्रेजो के द्वारा गिरफ्तार करके हजारीबाग केंद्रीय कारागार में 2 साल के लिए बंद कर दिया गया उस समय उनके शिष्यों ने पूरे आदिवासी समाज की सेवा की | तथा इसी वजह से उनके शिष्यों के द्वारा बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज में एक महान पुरुष धरती बाबा के नाम से भी पूजा जाता है |