बुद्ध किस भगवान को मानते थे? आज पता चल गया !

बुद्ध किस भगवान को मानते थे?
बुद्ध किस भगवान को मानते थे?
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नई दिल्ली ।‌ भगवान बुद्ध किस भगवान को मानते थे? अगर आप भी इंटरनेट पर यही सच कर रहे हैं तो आपको जानकारी के लिए बता देगी भगवान बुद्ध निरीश्वर वादी थे। ‌ इसका अर्थ है कि वह मूर्ति बाद में विश्वास नहीं करते हैं उनका कहना है कि जो लोग ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए ईश्वर होते हैं और जो लोग ईश्वर में विश्वास नहीं रखते हैं उनके लिए भगवान नहीं होते हैं। तो इस हिसाब से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भगवान बुद्ध किसी भी भगवान को नहीं मानते थे। लेकिन वही कुछ ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध अपने मन में किसी देवी की पूजा करते थे ‌।‌ यह जानते हैं कि यह कितना सच है?

बुद्ध किस भगवान को मानते थे?

वैसे तो भगवान बुद्ध का जन्म इक्ष्वाकु वंश क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था. बचपन से ही एक तपस्वी के द्वारा उनको लेकर एक भविष्यवाणी कर दी गई थी । जिसकी वजह से भविष्यवाणी के चलते उनके माता-पिता ने उन्हें सांसारिक मोह माया से दूर रखा। ‌ क्योंकि ऋषि के द्वारा की गई भविष्यवाणी के अनुसार बताया गया था कि भगवान गौतम अर्थात बुद्ध आगे चलकर इस सांसारिक मोह माया को त्याग देने वाले हैं.

और इसी बात से परेशान होकर उनके माता-पिता ने इन्हें सांसारिक मोह माया से बिल्कुल दूर ही रखा था।‌ यहीं से इनका प्रारंभिक जीवन शुरू होता है। लेकिन अगर भगवान बुद्ध की यह बात करें कि वह किस भगवान को मानते थे? तो इसके संबंध में कोई खास जानकारी तो प्राप्त नहीं होती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध के मठ में देवी तारा का मंदिर हुआ करता था। कुछ गलत तो मैं इसकी जानकारी मिली है। अर्थात इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भगवान बुद्ध देवी तारा की पूजा किया करते थे और उन्हीं को मानते थे।

निरीश्वरवादी थे भगवान बुद्ध

दरअसल भगवान बुद्ध अपने शिष्यों को कहते थे कि वह निरीश्वरवादी है. इस शब्द का तात्पर्य है कि वह किसी ईश्वर अर्थात भगवान में विश्वास नहीं करते थे. ईश्वर को प्राप्त करने का एकमात्र साधन साधना ही है जिसको उन्होंने अपनी आस्था का प्रतीक बताया. भगवान बुद्ध का मानना है कि ईश्वर के संबंध में उनका दृष्टिकोण यह है कि उन्होंने ईश्वर को ना तो स्वीकार किया है और ना ही बहिष्कार. अर्थात जो ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए ईश्वर होते हैं और जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखते उनके लिए ईश्वर नहीं है. ऐसा उनका मानना है। ‌

भगवान बुद्ध को ऐसे प्राप्त हुआ ज्ञान?

बचपन से ही भगवान बुद्ध को उनके माता-पिता के द्वारा राज भोग के अंतर्गत इतना प्लीज निकल गया कि उनको बाहरी दुनिया के बारे में बिल्कुल भी नहीं बताया गया। इसके पीछे का कारण ऐसा माना जाता है कि एक ऋषि के द्वारा भगवान बुद्ध को लेकर भविष्यवाणी की गई थी कि वह सांसारिक मोह माया को त्याग देने वाले हैं. इसके अलावा राजा शुद्धोधन के वंश को आगे नहीं बढ़ाएंगे। ‌

इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें सांसारिक मोह माया से बिल्कुल दूर रखा । लेकिन ऋषि के द्वारा की गई भविष्यवाणी के अनुसार एक बार में किसी व्यक्ति के साथ अपने नगर की शेयर करने के लिए माता-पिता को बिना बताए रथ पर निकल गए थे। ‌ रास्ते में उन्होंने लोगों को दुख पीड़ा और परेशानी से ग्रसित होकर अपने सारथी से पूछा कि यह सब क्या है? इसी बात से परेशान होकर उन्होंने आगे चलकर ज्ञान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग मार्ग अपनाये।

भगवान बुद्ध के पहले गुरु

भगवान बुद्ध ने जब सांसारिक मोह माया को त्यागने का प्रण ले लिया था, तो उसके बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहले गुरु आलार कलाम मिले. इन्होंने संन्यास कल की शिक्षा को भगवान बुद्ध को दिया. तत्पश्चात एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर उन्होंने ध्यान लगाकर भगवान प्राप्त करने के लिए कोशिश की. उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई. तभी से सिद्धार्थ को ज्ञान का सच्चा बोध हुआ और वह भगवान बुद्ध कहलाए।


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