
गंगा सप्तमी 2024: जैसा कि आप सब लोग जानते हैं की माता गंगा की कहानी भारत की एक पुरानी के कथा स्रोत से जुड़ी हुई है. माता गंगा ने अपने ही पुत्रों को मार दिया था इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा और श्राप है. इसके बारे में तो फ्रेंड आपको आगे बताया जाएगा लेकिन आपको बता देना चाहते हैं कि आज गंगा सप्तमी है. गंगा सप्तम प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस दौरान माता गंगा की पूजा की जाती है हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल पैसा कमा के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम सेलिब्रेट किया जाता है. कई लोग इस दिन अपना उपवास रखकर भी माताजी की पूजा करते हैं.
गंगा सप्तमी 2024
वैशाख मा के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को प्रत्येक व्रत गंगा सप्तमी (Ganga Saptmi) का त्यौहार मनाया जाता है. खराबी चाहते हैं कि इस जगह के बारे में कुछ नया जानने के लिए तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं इसमें हमने आपको बताया है कि आखिर माता गंगा ने अपने पुत्रों को क्यों मार दिया था? इसके अलावा गंगा सप्तमी कैसे मनाई जाती है और गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त क्या है?
माता गंगा ने अपने पुत्रों को क्यों मारा?
आपको बताने की इसके पीछे एक प्रचलित पावन कथा है की माता गंगा ने अपने ही पुत्रों को मार दिया था. रिपोर्ट के अनुसार इसकी कहानी भीष्म पितामह से जुड़ी हुई है. अर्थात भीष्म पितामह माता गंगा के आठवें पुत्र माने जाते हैं. इसके पीछे यह शराब था कि शांतनु राजा माता गंगा के विवाह करना चाहते थे.
तो माता गंगा ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार तो कर लिया था लेकिन उनके सामने दो शर्त रखी थी एक तो यह है कि वह कभी भी बता गंगा से किसी भी कार्य को लेकर सवाल नहीं करेंगे तथा दूसरी तरफ यह थी कि उनका कोई भी पुत्र सिंहासन पर नहीं बैठेगा. शांतनु उनकी इस शर्तों को मान लेते हैं. विवाह करने के बाद जब गंगा माता को साथ पुत्र हुए.
प्रत्येक पुत्र को वहा दिया गंगा माता ने नदी में
विवाह के बाद माता गंगा को 7 पुत्र हुए थे. उन्होंने एक-एक करके सभी को नदी में बहा दिया. वचनबद्ध होने की वजह से शांतनु ने ऐसा सवाल नहीं किया लेकिन जब आदमी पुत्र की बारी आई तो उसे रहा नहीं गया और उन्होंने सवाल कर लिया. की माता गंगा आखिर ऐसा क्यों कर रही है? इसके बाद उन्होंने बताया कि उनके सभी पुत्र ऋषि वशिष्ठ के श्राप से ग्रस्त थे.
जिसके चलते उन्होंने अपने पहले सात पुत्रों को नदी में बहा दिया और बाकी के आठवां पुत्र को शांतनु ने रोक लिया. इसके पास धरती पर रहकर उसे श्राप को भुगतना होगा. उनके आठवें पुत्र भीष्म पितामह माने जाते हैं. ऋषि वशिष्ठ ने माता गंगा को श्राप दिया था. कि उनके साथ पुत्र मनुष्य जीवन की योनि में दुख भोग करेंगे. क्योंकि माता गंगा ने ऋषि वशिष्ठ की तपस्या का देवताओं के कहने पर विघ्न डाल दिया था. जिसकी वजह से क्रोध में आकर माता गंगा को वशिष्ठ जी के द्वारा यह श्राप दिया गया.
गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त
गंगा सप्तमी का त्योहार 14 मई 2024 को मनाया जाने वाला है. इसके शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज रात 2:50 इसका शुभ मुहूर्त शुरुआत हो रही है और अगले दिन 15 तारीख को 4:19 पर सुबह के समय समाप्त होगा. इसकी वजह से उदया तिथि के हिसाब से इस बार गंगा ताप्ती का त्योहार 14 तारीख को ही मनाया जा रहा है और इसके लिए पूजा सुबह 10:56 मिनट से लेकर 1:39 मिनट तक की जा सकती है.

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