
Mario Molina : आखिर कौन थे मैरियो मौलिना ? जिनकी पिक्चर को दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने अपने टोटल फीचर पर दिखाया है | अगर आप भी मैरियो मौलिना (Mario Molina) के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो आप एकदम सही पोस्ट पढ़ रहे हैं |
वैसे जब भी कोई बड़ा त्यौहार होता है, यह कोई फेमस व्यक्ति की जन्म दिवस आता है तब गूगल अपने टोटल फीचर पर उस फेमस और प्रसिद्ध व्यक्ति का नाम या फिर इवेंट का एक इमेज बनाकर अपने डूडल पिक्चर पर दिखाता है |
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि आज 19 मार्च है और आज के दिन ही 19 मार्च को एक मशहूर वैज्ञानिक रसायन शास्त्री अर्थात केमिस्ट मैरियो मौलिना (Mario Molina) का जन्म हुआ था | रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने कई सारी खोजें की , जितने बजे से साल 1995 में इन्हें नोबेल प्राइज से भी सम्मानित किया गया था | आइए जानते हैं Mario Molina के बारे में अधिक जानकारी |
Mario Molina कौन थे ? | Mario Molina Kaun hai ?
दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने अपने डूडल फीचर पर केमिस्ट मैरियो मौलिना (Mario Molina) की इमेज को लगाया है | इनका जो योगदान केमिस्ट्री के क्षेत्र में बहुत अधिक है | क्योंकि इनकी खोज की वजह से आज हम धरती पर इतने सुरक्षित हैं |

अगर हम Mario Molina जन्मदिवस की बात करें तो 19 मार्च 1943 को मैरियो मौलिना (Mario Molina) का जन्म मेक्सिको में हुआ था | आज के दिन इनका 80th जन्मदिवस गूगल डूडल के द्वारा मनाया जा रहा है | इन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में लोगों के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया | इसी की वजह से गूगल ने अपने डूडल फीचर इन्हें दिखाया है |
असर हम डॉक्टर मैरियो मौलिना (Mario Molina) कि पढ़ाई के बारे में बात करें तो हम आपको बता देना चाहते हैं कि वह अपनी विज्ञान के प्रति इतनी ज्यादा सीरियस और जुनूनी थी, कि अपने बाथरूम को ही उन्होंने एक अस्थाई लैब के रूप में बदल दिया था | उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मेक्सिको शहर में ही की |
जिसकी बाद मेक्सिको के नेशनल ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी के द्वारा केमिकल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन को पूरा किया | केमिकल इंजीनियरिंग में एप्लीकेशन पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी एडवांस की डिग्री जर्मनी के फ्रीबर्ग विश्वविद्यालय से ली |
इसके बाद मैरियो मौलिना (Mario Molina) अपनी रिसर्च करने के लिए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी फिर बर्कले इसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के द्वारा पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च करने के लिए अमेरिका शिफ्ट हो गई थी |
इसके बाद मैरियो मौलिना (Mario Molina) साल 1970 में पृथ्वी के वायुमंडल पर अपनी रिसर्च करने के लिए कई सारे कार्य किए | उन्होंने रिसर्च किया कि किस प्रकार सिंथेटिक रसायन पृथ्वी के वायुमंडल को इफेक्ट (प्रभावित) करता है |
जिसके बाद उन्होंने पता लगाया कि ओजोन परत रेफ्रिजरेटर से निकलने वाली एक क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस जोकि एयर कंडीशनर एरोसॉल स्प्रे और कई सारे यंत्रों से निकलती है |
इस प्रकार की कैसे ओजोन परत को हानि पहुंचा रही है | ओजोन परत में छिद्र होने की वजह से पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुंचकर इंसानों को नुकसान पहुंचा रही है |
इसके बाद उन्होंने सरकार को इसके बारे में जानकारी देकर ओजोन परत को बचाने के लिए अपना कदम उठाया | इसी वजह से साल 1995 में मैरियो मौलिना (Mario Molina) को नोबेल पुरस्कार कैसे प्राप्त करता के तौर पर सम्मानित किया गया |
इसी वजह से गूगल ने डूडल केमिस्ट मैरियो मौलिना (Mario Molina) को दिखाया है | विज्ञान के विषय में अपना योगदान देने वाले मैरियो मौलिना (Mario Molina) की हार्ट अटैक की वजह से साल 2020 में 7 अक्टूबर को 77 साल की उम्र में निधन हो गया | अतः इन्हीं की वजह से ही ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों पर प्रतिबंध लगाया गया था |
ओजोन परत क्या है ? – Mario Molina
अगर हम ओजोन परत की बात करें तो ओजोन परत पृथ्वी से कुछ दूरी पर स्थित एक प्रकार का इंसानों तथा पेड़ पौधों के लिए सुरक्षा कवच है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर पराबैंगनी किरणें नहीं पहुंच पाती है | ओजोन परत, ओजोन गैस (o3) से निर्मित होती है | क्योंकि सूर्य से आने वाली पराबैंगनी तथा अन्य हानिकारक किरणों को पृथ्वी पर नहीं आने देती है |