नोट बंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – साल 2016 प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा काले धन को बाहर निकालने के लिए 500 रूपये और 1000 रुपए के नोट को बंद कर दिया था | इस कई लोगों के द्वारा अलग अलग प्रकार कॉमेंट और आपत्ति जताई जा रही थी |
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(Image Source : Google) |
प्रधान मंत्री के द्वारा की गई नोट बंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस पर फैसला आया है | इससे पहले आपको बता दें की नरेंद्र मोदी ने नोट बंद करने का यह फैसला साल 8 नवंबर 2016 में लिया था | यह एक एतिहासिक फैसला था| इससे पहले भी भारत नोट बंदी का फैसला लिया जा चुका है |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में लगभग 6 साल में नोट बंदी पर फैसला सुनाया है | जिस पर कई सारे विपक्षी पार्टी के पॉलिटिसिन सहमत नहीं थे | सुप्रीम कोर्ट ने मोदी के द्वारा की जाने वाली नोट बंदी को वैद्य करार दिया है |
अतः नोटबंदी के मामले पर सरकार को चुनौती देने वाले सारी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खारिज कर दी गई हैं | इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि नोटबंदी के फैसले को पलटा नहीं जाएगा |
साथ ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार के द्वारा नोट बंदी के फैसले को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के द्वारा सलाह मशवरा करने के बाद ही लिया गया था |
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी पर जताई असहमति
आपको बता दें कि जस्टिस (न्यायमूर्ति) बीवी नगर अपना के द्वारा केंद्र सरकार के द्वारा लिए गए नोटबंदी के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को नोटबंदी के मामले पर फैसला कानूनी तौर पर लेना चाहिए था |
अतः केंद्र सरकार को ₹500 और ₹1000 के नोटों का विमुद्रीकरण कानून के माध्यम से करना चाहिए था | जबकि केंद्र सरकार ने “गजट” की अधिसूचना के माध्यम से 500 और 1000 रुपए के नोटों का विमुद्रीकरण किया |