Anna Mani’s 104th Birthday: आखिर कौन है अन्ना मणि जिन्हें गूगल ने अपने डूडल फीचर में दिखाया है | आपको बता देगी अन्ना मणि एक भारतीय भौतिक वैज्ञानिक और मौसम विज्ञान से संबंधित केरल की ऐसी महिला हैं, जोकि “भारत की मौसम महिला” के नाम से जानी जाती है | 23 अगस्त 2022 को Anna Mani’s की 104 वी जयंती है |
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(Image Credit : Google Doodle) |
चूंकि अन्ना मणि एक ऐसी भारतीय महिला थी, जो कि ना केवल एक भौतिक वैज्ञानिक थी बल्कि एक केमिस्ट और मौसम विज्ञानिक के रूप में भी इन्हें जाना जाता है | अन्ना मणि ने अपने पूरे जीवन में मौसम विज्ञान में सबसे ज्यादा योगदान दिया है | उन्होंने मौसम विज्ञान से संबंधित ऐसे कई सारे उत्तरण बनाए हैं जिनकी वजह से हमें मौसम का अनुमान लगाना काफी ज्यादा सरल हो गया है | उनके योगदान की वजह से गूगल ने उन्हें आज अपने डूडल फीचर पर याद किया है |
Anna Mani’s (अन्ना मणि) कौन है ?
दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि आज गूगल जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन माना जाता है | गूगल ने अपने डूडल फीचर पर एक भारतीय महिला को याद किया है | तो अगर आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा है कि आखिर अन्ना मणि कौन थी ? जिन्हें गूगल ने अपने डूडल फीचर पर याद किया है | तो हम आपको बता देना चाहते हैं कि अन्ना मणि एक भारतीय महिला थी |
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(Image Credit : Google) |
जोकि सबसे ज्यादा फिजिक्स में रुचि होने के कारण उन्होंने मौसम विज्ञान से संबंधित कई सारे उपकरणों का आविष्कार किया है | उनके द्वारा किए गए आविष्कार के उपकरण की वजह से ही हम मौसम विज्ञान से संबंधित भविष्यवाणी कर पाते हैं | उनके द्वारा किए गए इस अमूल्य आविष्कार की वजह से उन्हें गूगल ने अपने डूडल पर दिखाया है | अता कहा जा सकता है कि अन्ना मणि एक भारतीय वैज्ञानिक थी |
रमन अनुसंधान संस्थान में किया कार्य
Anna Mani’s (अन्ना मणि) जो कि एक भारतीय वैज्ञानिक थी उन्होंने रमन अनुसंधान संस्थान में एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्य किया है | इसके अलावा उन्होंने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में भी योगदान दे चुकी है जिसके बाद उन्होंने रमन अनुसंधान संस्थान को जॉइन किया था | और यहीं रहकर उन्होंने मौसम विज्ञान के तत्व जैसे कि ओजोन परत हवा, ऊर्जा माप पर कई सारे लेख लिखें |
Anna Mani’s की जीवनी (Anna Mani’s Biography)
दोस्तों जैसा कि हम सब लोग जान चुके हैं कि अन्ना मणि को गूगल ने अपने डूडल फीचर पर दिखाया है | तो इसके पीछे कोई ना कोई तो वजह होगी ही | चलिए अब हम अन्ना मणि जीवनी के बारे में जानकारी ले लेते हैं | अगर आप एक भारतीय भौतिक वैज्ञानिक बनना चाहते हैं तो आप अन्ना मणि के जीवन से काफी ज्यादा कुछ सीख सकते हैं |
अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त 1918 को केरल के पीरमाडे नाम के एक शहर में हुआ था | इनका जन्म एक प्राचीन सीरियल ईसाई परिवार में हुआ था | अगर हम इनके परिवार की बात करें तो इनके कुल आठ भाई बहन थे | जिनमें से सात भी नंबर की अन्ना मणि थी | इनको बचपन से ही फिजिक्स पढ़ने का काफी ज्यादा शौक था |
पढ़ाई में अधिक रूचि होने के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई केमिस्ट्री से की है | इसी के साथ उन्होंने बीएससी ऑनर्स की पढ़ाई भी पूरी की है | इसके बावजूद यह एक ऐसे परिवार से रिश्ता रखती थी जहां पर लड़कों को ज्यादा वैल्यू दी जाती थी | और लड़कियों को केवल उनकी शादी तक ही के लिए तैयार किया जाता था | ऐसे माहौल पर रहकर भी उन्होंने अपनी पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी |
उनके बारे में कुछ ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने पढ़ाई में रुचि होने के कारण अपनी 8 साल की उम्र तक एक सार्वजनिक पुस्तकालय की लगभग सभी किताबों को पढ़ लिया था | यह केवल तभी संभव हो पाया है क्योंकि उन्हें पढ़ने में रुचि थी | आपको बता दें कि शुरुआती दिनों में तो अन्ना मणि डांसिंग का शौक रखती थी | इसी शौक के चलते वह एक डांसर भी बनना चाहती थी |
लेकिन फैमिली प्रेशर के चलते उन्होंने डांसर बनने के शौक को दफन कर दिया और फिजिक्स में अपना करियर बनाने के लिए फिजिक्स में ही रुचि लेना शुरू कर दिया | और फिर धीरे-धीरे उन्हें फिजिक्स में भी काफी ज्यादा रुचि आने लगी | इसी के चलते साल 1939 के समय में उस समय के मद्रास के एक पचैयप्पा कॉलेज से फिजिक्स और केमिस्ट्री में बीएससी ऑनर्स की डिग्री हासिल की |
उन्होंने अपने पूरे जीवन में विज्ञान को ही समर्पित कर दिया | उन्होंने कॉलेज से डिग्री लेने के बाद रमन अनुसंधान संस्थान में भी एक अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्य किया | इसके अलावा उन्होंने बहुमूल्य रत्न रूबी और हीरे के प्रकाशित किए गुणों को भी जानने की कोशिश की | आपको बता दें कि अन्ना मणि ने पीएचडी के लिए भी अप्लाई किया था | लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री इसलिए नहीं दी गई क्योंकि उन्होंने फिजिक्स से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं की |
लेकिन फिर भी Anna Mani’s। हार नहीं मानी और वह विज्ञान के प्रति अपनी रुचि को कभी नहीं भुला पाई | शायद यही एक वजह है कि उन्होंने अपने जीवन में मौसम विज्ञान से संबंधित ऐसे कई सारे उपकरणों का आविष्कार किया है जिसकी वजह से हम आज सही-सही मौसम का अनुमान लगा पाते हैं | इतनी महान भारतीय वैज्ञानिक का निधन हार्ट अटैक की वजह से 16 अगस्त 2001 को केरल के तिरुअनंतपुरम में हुआ था |