Mundan Sanskar: हिंदू धर्म में क्यों किया जाता है मुंडन संस्कार? जाने महत्व और डीटेल्स

Mundan Sanskar क्या है
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Mundan Sanskar: भारत पूरी दुनिया भर में एक बहुत पुराना देश माना जाता है ऐसे में यहां की संस्कृति को भी अत्यधिक प्राचीन माना जाता है ऐसे में अगर आप लोग जानना चाहते हैं कि भारत में जो प्राचीन संस्कृति मौजूद है यह सनातन धर्म की है. सनातन धर्म में अलग-अलग प्रकार के संस्कार परंपराएं पाई जाती है. जब कोई भी छोटा बच्चा जन्म लेता है तो जन्म लेने के कुछ समय पश्चात उसका मुंडन कराया जाता है ।

अर्थात पूरे सिर के बाल को कटवा दिया जाता है. सिर के बाल कट जाने की पश्चात उसके पूरे सिर पर हल्दी लगाई जाती है. जिससे कि अगर ब्लड या उसे तरह से होने वाले कोई साइड इफेक्ट्स का प्रभाव उसके सिर पर ना पड़े. इसके अलावा हल्दी लगाने के पीछे और भी कई सारी परंपरा है , जो काफी सदियों से चली आ रही है. यह सनातन धर्म में पवित्र संस्कार माना जाता है. जिसका महत्व इतना अधिक है कि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी महत्वपूर्ण है.

Mundan Sanskar क्या है?

और मुंडन संस्कार की बात करें तो जब भी कोई व्यक्ति अर्थात बच्चा सनातन धर्म में पैदा होता है तो उसके पैदा होने के बाद से के कुछ समय पश्चात उसका मुंडन करा दिया जाता है. यह 16 संस्कारों में से एक माना जाता है. पुराने समय में जब भी कोई व्यक्ति गुरुकुल में ग्रहण करने के लिए जाता था, तो उसकी शिक्षा ग्रहण करने से पहले और गुरुकुल में प्रवेश करने से पहले 16 संस्कारों के पड़ाव से गुजरना होता था.

इसके लिए एक विशेष आयु निर्धारित की गई थी. लेकिन वर्तमान में गुरुकुल का सिस्टम तो खत्म हो चुका है परंतु मुंडन संस्कार अभी भी बाकी है. लोग आज भी मन्नत मांगते हैं और अपने बच्चों का मुंडन करवाते हैं. अलग-अलग लोग किसी अलग-अलग तरीके से लेते हैं अर्थात कई लोग किसी विशेष धार्मिक स्थान पर जाकर लड़का या लड़की होने की मन्नत मांगते हैं. जब उनके घर बालक जन्म ले लेता है तो उसके पश्चात उसका मुंडन वहीं पर कराया जाता है. इस तीर्थ स्थल में गिरिराज जी भी शामिल है.

क्यों कराया जाता है मुंडन संस्कार?

सनातन धर्म की जानकारी के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्णन संस्कार कराने के पीछे का कारण यह है कि आमतौर पर शीशु दुनिया में जन्म लेने से पहले मां के गर्भ 9 महीने तक रहता है, इस दौरान उसमें कई प्रकार की अशुद्धियां आ जाती है. उन अशुद्धियां को दूर करने के लिए और पुराने जन्म की यादों को मिटाने के लिए मुंडन संस्कार आवश्यक है.

इसके साथ ही अन्य कारण यह बताए जाते हैं कि इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर वृद्धि होती है. मुंडन संस्कार को विशेष दिवस के अवसर पर करवाया जाता है. कई बार इस दौरान उस बालक के पीछे एक चोटी भी छोड़ दी जाती है. आईए जानते हैं कब करवाना चाहिए मुंडन संस्कार ?

कब कराना होता है मुंडन संस्कार?

इसके संबंध में आचार्य बताते हैं कि मुंडन संस्कार को 1 साल खत्म होने से पहले शुभ मुहूर्त के अंतर्गत करवा लेना चाहिए. इसके अलावा तीसरे पांचवें और सातवें साल के अंतर्गत भी मुंडन संस्कार कराया जा सकता है. इतना ही नहीं कई बार मन्नत लेने के बाद उस स्थान पर भी मुंडन संस्कार कराया जाता है. इसके लिए विशेष पूजा पद्धति आयोजित की जाती है.

पंचांग के अनुसार देखा जाए तो मुंडन संस्कार को द्वितीया तृतीया पंचमी सप्तमी दशमी एकादशी और त्रयोदशी को कराया जा सकता है. इस दौरान कई बार हम चोटी रखने की परंपरा भी है. चोटी अगर रख दी जाती है. ऐसा आमतौर ब्राह्मण घर के लोगों के द्वारा किया जाता है. इसको रखने के पीछे का एक वैज्ञानिक कारण भी होता है.

ऐसा माना जाता है कि यह हमारे मस्तिष्क को सुरक्षित रखती है. छोटी छोड़ने की परंपरा यह है कि जिस मन्नत के स्थान पर आप लोगों को छोटी छोड़ना है वहां पर जाकर मां की गोद में बच्चों का सिर रखकर संकल्प कराया जाता है. इस दौरान पंडित जी के द्वारा पूजा भी की जाती है उसके बाद छोटी करवाई जा सकती है.