तानसेन समारोह 2022 – साल 2022 का तानसेन समारोह आने ही वाला है | आपको बता दें कि भारत के मशहूर शास्त्रीय संगीतकार तानसेन समारोह की शुरुआत 19 दिसंबर से होने जा रही है | आज की इस पोस्ट में हम आपको तानसेन समारोह के अवसर पर तानसेन के बारे में कई सारी जानकारी देने वाले हैं |
जैसे कि तानसेन का वास्तविक नाम क्या है?, तानसेन के गुरु का नाम, और भी बहुत कुछ इस आर्टिकल में हम आपको संगीतकार तानसेन तथा तानसेन समारोह के बारे में जानकारी देने वाले हैं | चलिए शुरू करते इस आर्टिकल को |
तानसेन समारोह 2022
आपको बता दें कि भारतीय संगीत कला शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में संगीत में जान डाल देने वाले संगीतकार तानसेन समारोह 2022 का शुभारंभ होने वाला है | आपको बता दें कि हर साल तानसेन समारोह, उनकी की जन्मस्थली ग्वालियर में ही मनाया जाता है |
ग्वालियर में यह समारोह हजीरा में स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि के पास में ही मनाया जाता है | परंतु आपको बता दें कि इस साल इससे पहले चंबल संभाग तथा ग्वालियर में संगीत की प्रसिद्ध कला गमक संगीत सभाओं का आयोजन किया जाएगा |
जिसकी पहली सभा 16 दिसंबर 2022 को शिवपुरी में आयोजित की जा रही है | जिसमें भारत की मशहूर गायत्री मालिनी अवस्थी भी शामिल होने वाली है | इस समारोह में कई प्रकार के गायन शैली की प्रस्तुति दी जाएगी | इसी के साथ ही यह तानसेन समारोह सेलिब्रेट किया जाएगा |
संगीतकार तानसेन का वास्तविक नाम क्या था ?
दोस्तों अगर आप भी तानसेन के वास्तविक नाम के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि मशहूर शास्त्रीय संगीतकार तानसेन का वास्तविक नाम राम तनु पांडे है | तथा इनके बचपन का नाम तन्ना मिश्रा था | आपको बता दें कि तानसेन समारोह की शुरुआत सिंधिया के शासनकाल में 1924 में की गई थी | इसके बाद साल 2022 का यह तानसेन समारोह 98वा समारोह है |
तानसेन की पर्सनल लाइफ
अगर हम शास्त्रीय संगीतकार तानसेन के पर्सनल लाइफ के बारे में बात करें तो तानसेन का जन्म भारत के ग्वालियर शहर में साल 1500 साल मे हुआ था | कहां जाता है कि यह एक ऐसे संगीतकार थे , जिनके गायन बदन पर बादलों से पानी बरसने लगता था |
दीपक बिना किसी आग के स्त्रोत से जलाये अपने आप ही जल जाते थे | इसी वजह से उस समय तत्कालीन भारत के राजा अकबर के नवरत्नों में भी इन्हें शामिल किया गया | अकबर के दरबार में अपनी सेवा देते हुए संगीतकार तानसेन की मृत्यु 26 अप्रैल 1586 को आगरा में ही हुई थी|
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